CJI पर जूता फेंकने वाले वकील पर ओवैसी का तीखा प्रहार — “क्या तुम्हारा बाप लगता है वो?” गिरफ्तारी न होने पर दिल्ली पुलिस पर उठाए गंभीर सवाल
नई दिल्ली: देश की न्याय व्यवस्था को हिला देने वाले चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) बी. आर. गवई पर जूता फेंकने के मामले ने देश में बड़ा राजनीतिक मोड़ ले लिया है। इस घटना के बाद जहां पूरे देश में निंदा की लहर दौड़ गई है, वहीं अब AIMIM चीफ और सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने इस पर दिल्ली पुलिस की कार्यप्रणाली पर कड़ा सवाल उठाया है। मामला उस समय का है जब CJI बी. आर. गवई कोर्ट रूम में सुनवाई कर रहे थे। उसी दौरान राकेश किशोर नाम के एक वकील ने अचानक अपना जूता CJI की तरफ फेंक दिया। हालांकि, जूता दोनों जजों के बीच से निकल गया और किसी को नुकसान नहीं पहुंचा। इसके बाद मौके पर मौजूद सुरक्षा कर्मियों ने तुरंत हालात को काबू में किया और वकील को बाहर निकाल दिया।![]() |
| CJI BR Gavai Or Rakesh Kishore |
लेकिन इस निंदनीय कृत्य के बाद भी अब तक वकील राकेश किशोर के खिलाफ कोई (FIR) दर्ज नहीं की गई है। इसी बात को लेकर असदुद्दीन ओवैसी भड़क उठे और उन्होंने दिल्ली पुलिस पर पक्षपात का आरोप लगाया।
ओवैसी ने अपने बयान में कहा:
"क्यों? क्योंकि उसका नाम राकेश किशोर है? क्या तुम्हारा बाप लगता है वो? क्या तुम्हारा ससुर लगता है वो, जो तुम उस पर केस नहीं बुक करते हो? और अगर कोई पोस्टर उठाता है तो 1300 लोगों पर केस हो जाता है, 40 गिरफ्तार हो जाते हैं। इंसाफ की जगह पर इस तरह की हरकत हो रही है और दिल्ली की पुलिस उसको गिरफ्तार भी नहीं करती। मुबारक हो तुम्हारी बहादुरी पर जो तुम ख़ामोश बैठे हो" - असदुद्दीन ओवैसी
उन्होंने आगे कहा कि:"अगर चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने कंप्लेंट नहीं भी की तो पुलिस को अपने स्तर पर एक्शन लेना चाहिए था। सुप्रीम कोर्ट ने जब फैसला सुनाया कि मस्जिद तुम्हारी नहीं है, तब हमने तो किसी पर जूता नहीं उठाया। ट्रिपल तलाक पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया, हमने कहा कि ये फैसला गलत है, लेकिन फिर भी हमने संविधान का सम्मान किया।" - असदुद्दीन ओवैसी
ओवैसी का यह बयान सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। कई लोगों ने उनके सवालों का समर्थन किया है, तो कुछ लोग इसे राजनीतिक रंग देने की कोशिश बता रहे हैं। वहीं, दिल्ली पुलिस की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। सुप्रीम कोर्ट परिसर में हुई यह घटना न्यायिक गरिमा और सुरक्षा व्यवस्थाओं पर भी गंभीर सवाल खड़े करती है।
कई कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि “अगर कोई व्यक्ति अदालत की कार्यवाही में बाधा डालता है या न्यायाधीश पर हमला करने की कोशिश करता है, तो यह कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट (अवमानना) और सुरक्षा उल्लंघन दोनों के अंतर्गत आता है, और ऐसे में तत्काल कार्रवाई होनी चाहिए।”
अब देखना यह होगा कि दिल्ली पुलिस कब और क्या कार्रवाई करती है, और क्या इस मामले में संसद और न्यायपालिका की ओर से कोई सख्त कदम उठाया जाएगा या नहीं।

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