Delhi Riots Case: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को लगाई फटकार, उमर खालिद-शरजील इमाम की जमानत पर अब 31 अक्टूबर को सुनवाई..

दिल्ली दंगे मामला: उमर खालिद और शरजील इमाम की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई, अब 31 अक्टूबर को अगली तारीख

नई दिल्ली — 2020 के दिल्ली दंगे और उसके कथित “साजिश मामले” में बंद छात्र नेता उमर खालिद और शरजील इमाम की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को अहम सुनवाई हुई। इस सुनवाई के दौरान सर्वोच्च न्यायालय ने दिल्ली पुलिस को कड़ी फटकार लगाई और कहा कि उन्हें जवाब दाखिल करने के लिए पर्याप्त समय पहले ही दिया जा चुका है। अदालत ने कहा कि अब पुलिस को और समय नहीं दिया जाएगा। दिल्ली पुलिस ने अदालत से अपने जवाब दाखिल करने के लिए अतिरिक्त समय की मांग की थी, लेकिन अदालत ने स्पष्ट किया कि अब आगे किसी तरह की देरी स्वीकार नहीं की जाएगी। बेंच ने कहा कि “बेल मामलों में काउंटर-अफिडेविट का सवाल ही नहीं उठता”, यानी पुलिस को जमानत सुनवाई के लिए कोई अतिरिक्त दस्तावेज़ दाखिल करने की आवश्यकता नहीं है। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी ने दलीलें पेश कीं। उन्होंने अदालत को बताया कि उमर खालिद और शरजील इमाम लगभग पाँच वर्षों से जेल में बंद हैं, जबकि ट्रायल अभी तक पूरा नहीं हो पाया है। वकीलों ने यह भी कहा कि लंबे समय से हिरासत में रहने के बावजूद ट्रायल की धीमी गति न्यायिक प्रक्रिया पर सवाल उठाती है।

Image: Sharjeel Imam, Umar Khalid, Gulfisha Fatima, Meeran haider,

वकीलों ने रखी अपनी अपनी दलीलें:

कपिल सिब्बल ने अदालत से कहा कि “हमारे मुवक्किलों के खिलाफ कोई ठोस सबूत पेश नहीं किया गया है, और इतने सालों तक हिरासत में रखना न्यायोचित नहीं है।” वहीं अभिषेक मनु सिंघवी ने यह रेखांकित किया कि “जब सुनवाई इतनी लंबी खिंच रही है, तो अभियुक्तों को जमानत पर छोड़ा जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि दिल्ली पुलिस को इस मामले में पर्याप्त अवसर दिए जा चुके हैं, और अब “मामले को बिना किसी और देरी के आगे बढ़ाना होगा।” अदालत ने सुनवाई के अंत में यह स्पष्ट किया कि अगली तारीख 31 अक्टूबर 2025 तय की जा रही है, जिस दिन इन दोनों की जमानत याचिकाओं पर अंतिम सुनवाई की संभावना है। बेंच ने यह भी कहा कि इस तरह के मामलों में देरी न्याय के सिद्धांतों के विपरीत है, और यदि जांच एजेंसी समय पर अपना जवाब नहीं देती, तो अदालत को स्वतः आगे बढ़ना होगा। यह मामला फरवरी 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों से जुड़ा है, जिनमें 50 से अधिक लोगों की जान गई थी और सैकड़ों घायल हुए थे। दिल्ली पुलिस का आरोप है कि यह हिंसा पूर्व नियोजित साजिश का परिणाम थी, जिसमें कई छात्र-कार्यकर्ता और सामाजिक कार्यकर्ता शामिल थे। उमर खालिद, शरजील इमाम, गुलफिशा फातिमा और मीरान हैदर सहित कई लोगों पर यूएपीए (Unlawful Activities Prevention Act) के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। इन पर दिल्ली दंगों से पहले विभिन्न इलाकों में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और NRC के खिलाफ हुए प्रदर्शनों में कथित भड़काऊ भाषण देने का आरोप है हालाँकि, अभियुक्तों का कहना है कि उन्होंने किसी भी प्रकार की हिंसा या साजिश में भाग नहीं लिया। वे खुद को “राजनीतिक विरोध” के तहत गिरफ्तार बताया करते हैं।

दिल्ली हाइकोर्ट ने करी जमानत याचिका खारिज़:

दिल्ली हाई कोर्ट ने इससे पहले इन दोनों की जमानत याचिकाएं खारिज कर दी थीं, यह कहते हुए कि अभियोजन द्वारा लगाए गए आरोप “गंभीर” हैं और जांच अभी जारी है। उस फैसले को चुनौती देते हुए उमर खालिद और शरजील इमाम ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। अब सर्वोच्च न्यायालय में यह मामला अंतिम चरण में पहुँच चुका है। अदालत का ध्यान मुख्य रूप से इस बात पर केंद्रित है कि क्या अभियोजन के पास कोई ठोस साक्ष्य हैं, और क्या ट्रायल में लंबी देरी होने के बावजूद अभियुक्तों को बिना सुनवाई के जेल में रखना उचित है। वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे (जिन्होंने इस तरह के मामलों पर पहले भी टिप्पणी की है) ने कहा था कि “लंबी हिरासत न्याय की आत्मा के खिलाफ है। यदि ट्रायल में देरी हो रही है, तो आरोपी की जमानत स्वाभाविक रूप से विचार योग्य होनी चाहिए।” हालाँकि उन्होंने इस बयान को किसी विशेष केस से जोड़ने से इनकार किया।

अगली सुनवाई 31 अक्टूबर को होगी:

अब 31 अक्टूबर को होने वाली सुनवाई इस मामले में निर्णायक मानी जा रही है। अदालत यह तय करेगी कि क्या उमर खालिद और शरजील इमाम को ट्रायल की प्रक्रिया के दौरान जमानत दी जा सकती है या नहीं। यदि कोर्ट बेल मंजूर करती है, तो यह 2020 दिल्ली दंगे के “षड्यंत्र” केस में एक बड़ा मोड़ साबित हो सकता है।



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