बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में इस बार सबसे बड़ा सरप्राइज़ AIMIM ने दिया है। असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ने 5 सीटें जीतकर फिर से साबित कर दिया कि Seemanchal की राजनीति में उनका प्रभाव अब स्थायी ताकत बन चुका है। इस जीत ने न केवल AIMIM के जनाधार को मजबूत किया, बल्कि उस नैरेटिव को भी पलट दिया जिसमें उन्हें “वोट काटने वाली पार्टी” कहा जाता था।
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| AIMIM बिहार चुनाव: |
AIMIM ने कौन-कौन सी 5 सीटें जीती?
• जोकीहाट (Jokihat – अररिया)
• कोचाधामन (Kochadhaman – किशनगंज)
• अमौर (Amour – पूर्णिया)
• बैसी (Baisi – पूर्णिया)
• ठाकुरगंज (Thakurganj – किशनगंज)
इन सभी सीटों पर AIMIM ने जमीन पर मजबूत पकड़ और स्थानीय मुद्दों के सहारे बढ़िया प्रदर्शन किया।
कहाँ AIMIM कम अंतर से हार गई?
AIMIM कुछ सीटों पर बेहद कम मार्जिन से हार गई, जैसे—
• किशनगंज सदर
• सहरसा
• कटिहार की एक सीट
• जबकि बलरामपुर सीट पर बीजेपी और AIMIM के बीच कड़ी टक्कर थी और AIMIM 261 वोट से चुनाव जीत गई थी लेकिन जब रिकाउंटिंग हुई तो AIMIM के उम्मीदवार आदिल हसन को 389 वोट से हार का सामना करना पड़ा
थोड़ा बेहतर मैनेजमेंट होता तो AIMIM 6–7 सीटें आसानी से निकाल सकती थी।
BJP की “B Team” वाला इल्ज़ाम क्यों?
विपक्ष अक्सर AIMIM पर आरोप लगाता है कि—
1. AIMIM मुस्लिम वोट बाँटती है जिससे RJD और कांग्रेस को नुकसान होता है। लेकिन इस बार AIMIM बिहार में कांग्रेस से भी बड़ी पार्टी बन गई है
AIMIM का जवाब:
“हम Seemanchal के विकास और अल्पसंख्यकों की आवाज़ के लिए लड़ते हैं। किसी की B-Team नहीं हैं।”
AIMIM की जीत के पांच कारण
1. Seemanchal में असली ग्राउंड कनेक्शन
2. ओवैसी के तेज़ भाषण और साफ मैसेज
3. स्थानीय मुद्दों पर चुनाव
4. युवा और साफ-सुथरे उम्मीदवार
5. RJD–कांग्रेस के अंदरूनी विवादों का फायदा
क्या AIMIM बिहार की राजनीति बदल सकती है?
हाँ—Seemanchal की 25–30 सीटों पर AIMIM का असर बढ़ रहा है।
आने वाले चुनावों में यह पार्टी गेम चेंजर बन सकती है।
निष्कर्ष:
AIMIM की यह 5 सीटों की जीत सिर्फ सफलता नहीं—एक नए राजनीतिक दौर का संकेत है।
Seemanchal में AIMIM अब सिर्फ चुनौती नहीं, बल्कि स्थायी ताकत बन चुकी है।
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